थाना कनालीछीना क्षेत्र में अवैध गांजा खेती पर त्वरित कार्रवाई — प्रशासन की सख्ती से दहले अपराधी

अवैध गांजा खेती का भंडाफोड़: सीमांत क्षेत्र में मादक पदार्थों की खेती पर लगाम
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद के थाना कनालीछीना क्षेत्र में प्रशासन ने अवैध गांजा की खेती को लेकर सख्त कार्रवाई की है। सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यह इलाका लंबे समय से नशे के अवैध कारोबार का अड्डा बनता जा रहा था, लेकिन अब प्रशासनिक सख्ती ने इस पर लगाम लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। क्षेत्रीय प्रशासन और पुलिस विभाग ने संयुक्त छापेमारी कर गांजे की फसल को नष्ट कर दिया।
त्वरित सूचना पर कार्रवाई: कानून व्यवस्था की सजगता का उदाहरण
सूचना मिलते ही थाना कनालीछीना पुलिस ने बिना समय गंवाए संबंधित क्षेत्र में छापेमारी की। ग्राम पंचायत क्षेत्र के दुर्गम स्थानों में छिपाकर की जा रही गांजे की खेती को चिन्हित कर, मौके पर ही नष्ट किया गया। यह कार्रवाई पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर तत्काल प्रभाव से की गई, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि जिला प्रशासन नशे के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपना रहा है।
प्रशासन की रणनीति: समुदायिक भागीदारी और निगरानी
इस कार्रवाई में ग्राम प्रधान, स्थानीय नागरिकों और वन विभाग की सहायता ली गई। इस प्रकार की संयुक्त कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन अब केवल कानूनी ढांचे पर नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता और भागीदारी पर भी ध्यान दे रहा है।
मुख्य बिंदु:
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छापेमारी स्थल: सीमावर्ती दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र
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नष्ट की गई फसल: लगभग 5 बीघा में फैली गांजा की फसल
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संलिप्त व्यक्ति: जांच जारी, कुछ संदिग्ध हिरासत में
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प्रमुख विभाग: पुलिस, राजस्व, वन विभाग की संयुक्त टीम
नशे के विरुद्ध जनजागरूकता अभियान का विस्तार
प्रशासन केवल कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि स्थानीय स्तर पर जनजागरूकता फैलाने का भी कार्य कर रहा है। स्कूलों, पंचायत भवनों और सामाजिक संगठनों के सहयोग से नशे के दुष्प्रभावों पर संगोष्ठियां आयोजित की जा रही हैं। युवा वर्ग को मादक पदार्थों से दूर रखने के लिए स्पोर्ट्स और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
कानूनी पहलू और दंड प्रावधान
NDPS अधिनियम (1985) के तहत गांजा की खेती अवैध है। अपराध सिद्ध होने पर आरोपी को 10 साल तक की सजा और ₹1 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।
न्यायिक प्रक्रिया:
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प्राथमिकी दर्ज
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आरोपियों की गिरफ्तारी
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अदालत में आरोप पत्र
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साक्ष्यों के आधार पर न्यायिक कार्यवाही
अवैध खेती के विरुद्ध सतत निगरानी तंत्र
प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि केवल एक बार की कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। इसके लिए निम्न निगरानी तंत्र को सक्रिय किया गया है:
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ड्रोन सर्विलांस: दुर्गम और अज्ञात क्षेत्रों की निगरानी
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स्थानीय मुखबिर तंत्र: ग्रामीणों को विश्वास में लेकर सूचना जुटाना
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सामुदायिक चौकसी समितियां: पंचायत स्तर पर गठन