राजनीती

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का मंत्री विजय शाह के खिलाफ एफआईआर का आदेश: कर्नल सोफिया कुरैशी पर आपत्तिजनक टिप्पणी का मामला

परिचय

मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी ने देशभर में आक्रोश उत्पन्न कर दिया है। इस विवादास्पद बयान के बाद, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। यह मामला न केवल राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना है, बल्कि न्यायपालिका की सक्रियता का भी उदाहरण प्रस्तुत करता है।


विवाद की पृष्ठभूमि

कर्नल सोफिया कुरैशी, जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय सेना की प्रमुख प्रवक्ता रही हैं, के खिलाफ मंत्री विजय शाह ने सार्वजनिक रूप से आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया। उन्होंने उन्हें “आतंकवादियों की बहन” कहा, जिससे सेना और महिला अधिकारियों के सम्मान को ठेस पहुँची।


उच्च न्यायालय की प्रतिक्रिया

स्वतः संज्ञान और कड़ी टिप्पणी

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला शामिल हैं, ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया। न्यायालय ने मंत्री के बयान को “नाली की भाषा” करार देते हुए इसे न केवल कर्नल कुरैशी के लिए, बल्कि संपूर्ण सशस्त्र बलों के लिए अपमानजनक बताया।

एफआईआर दर्ज करने का आदेश

न्यायालय ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को तत्काल एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। आदेश में कहा गया कि यदि शाम 6 बजे तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई, तो अवमानना की कार्यवाही की जाएगी। इसके बावजूद, एफआईआर रात 11:10 बजे दर्ज की गई।


कानूनी धाराएं और संभावित दंड

एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता, 2023 की निम्नलिखित धाराएं शामिल की गई हैं:

  • धारा 152: भारत की संप्रभुता और एकता को खतरे में डालने वाले कृत्य।

  • धारा 196(1)(b): विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने वाले कृत्य।

  • धारा 197(1)(c): राष्ट्रीय एकता के खिलाफ कृत्य।

इन धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।


मंत्री विजय शाह की प्रतिक्रिया

मंत्री विजय शाह ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर कर्नल कुरैशी से माफी मांगी और उन्हें “राष्ट्र की बहन” कहा। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके बयान को गलत संदर्भ में प्रस्तुत किया गया। इसके बावजूद, उच्च न्यायालय ने उनके माफीनामे को अपर्याप्त मानते हुए कानूनी प्रक्रिया जारी रखने का निर्णय लिया।


सुप्रीम कोर्ट में याचिका और प्रतिक्रिया

मंत्री शाह ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल हस्तक्षेप से इनकार करते हुए कहा कि मंत्री जैसे पद पर आसीन व्यक्ति से जिम्मेदार व्यवहार की अपेक्षा की जाती है। अदालत ने उन्हें उच्च न्यायालय में उचित आवेदन करने की सलाह दी।


राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

इस मामले ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। कांग्रेस पार्षद यशस्वी पटेल ने मंत्री का मुंह काला करने वाले को ₹51,000 का इनाम देने की घोषणा की। वहीं, कर्नल कुरैशी के समर्थकों ने उनके पोस्टर का दुग्ध अभिषेक कर उनका सम्मान प्रकट किया।


निष्कर्ष

मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी ने न केवल सेना और महिला अधिकारियों के सम्मान को ठेस पहुँचाई है, बल्कि यह दर्शाता है कि सार्वजनिक पदों पर आसीन व्यक्तियों को अपने शब्दों और कृत्यों के प्रति अत्यंत सजग रहना चाहिए। न्यायपालिका की सक्रियता और समाज की प्रतिक्रिया इस बात का संकेत है कि ऐसे मामलों में कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है।

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