बरसात में डायरिया और पीलिया का कहर: दून अस्पताल में बच्चों की बढ़ती भीड़

उत्तराखंड में मानसून आते ही जलजनित बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ गया है। खासकर देहरादून समेत अन्य जिलों में डायरिया और पीलिया जैसे संक्रमण बच्चों को तेजी से अपनी चपेट में ले रहे हैं। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रतिदिन दर्जनों बच्चे इन बीमारियों की चपेट में आकर इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।

दूषित पानी बना संक्रमण की सबसे बड़ी वजह

दून क्षेत्र में कई इलाकों में पेयजल आपूर्ति पाइपलाइनें सीवर लाइनों के करीब से गुजरती हैं। भारी बारिश के दौरान पानी इन पाइपलाइनों में मिल जाता है, जिससे बच्चों को संक्रमित जल पीने को मजबूर होना पड़ता है। यही कारण है कि डायरिया और पीलिया के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिल रही है।

अस्पतालों में स्थिति गंभीर

दून अस्पताल के बाल रोग विभाग के अनुसार, रोजाना 30 से अधिक बच्चे उल्टी-दस्त और कमजोरी की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। इनमें से कई बच्चों को भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। अस्पताल प्रशासन ने इसके लिए अतिरिक्त बेड और दवाओं की व्यवस्था की है।

📌 आँकड़ों की स्थिति:

तारीख डायरिया के मामले पीलिया के मामले
25 जून 18 7
26 जून 22 9
27 जून 31 11
28 जून 35 13

माता-पिता के लिए जरूरी सावधानियां

बच्चों को इन बीमारियों से बचाने के लिए माता-पिता को विशेष ध्यान देना चाहिए। निम्न सावधानियां जरूरी हैं:

जलभराव और गंदगी से बढ़ रहा संकट

देहरादून के कई क्षेत्रों में नालियों की सफाई समय पर नहीं हो पाने से जलभराव की स्थिति बन रही है। गंदा पानी गलियों और घरों तक पहुंच रहा है, जिससे संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा कई गुना बढ़ गया है। नगर निगम की ओर से चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान में अब तेजी लाने की आवश्यकता है।

डॉक्टरों की सलाह

दून अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार का कहना है:

“डायरिया व पीलिया जैसे संक्रमण बरसात के मौसम में तेजी से फैलते हैं। खासतौर पर 1 से 10 वर्ष तक के बच्चों में यह ज्यादा खतरनाक हो सकता है। लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें। लापरवाही जानलेवा हो सकती है।”

पीलिया व डायरिया के लक्षणों की पहचान

पीलिया के मुख्य लक्षण:

डायरिया के लक्षण:

स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई

उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने संवेदनशील क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर लगाने का निर्णय लिया है। जल निगम और नगर निगम को जलशुद्धिकरण, पाइपलाइन की मरम्मत और नालियों की सफाई के निर्देश जारी किए गए हैं। साथ ही, जिला प्रशासन ने भी स्कूलों में बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता देने के आदेश जारी किए हैं।

निष्कर्ष

मानसून में डायरिया और पीलिया जैसे रोगों से बचाव के लिए समाज के हर स्तर पर सजगता की आवश्यकता है। जब तक हम व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से स्वच्छता और स्वास्थ्य नियमों का पालन नहीं करेंगे, तब तक संक्रमण पर काबू पाना मुश्किल रहेगा। बच्चों का स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, और इसके लिए जागरूकता के साथ सतर्कता भी जरूरी है।

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