क्राइम

संदिग्ध परिस्थिति में छात्र को गोली लगने का खुलासा, साथी गिरफ्तार

16 अप्रैल को कोलूपानी, कोटरा संतूर रोड स्थित एक निजी पैंईग गेस्ट (पीजी) में रह रहे एवं अल्पाइन इंस्टिट्यूट प्रेमनगर में बी.एस.सी. एग्रीकल्चर द्वितीय वर्ष के छात्र शशि शेखर पुत्र नंदकिशोर यादव, निवासी झारखंड को संदिग्ध परिस्थिति में सिर में गोली लगने की सूचना पुलिस को मिली थी। जिसे उसके साथी शशि रंजन एवं हर्ष द्वारा उपचार हेतु प्रेमनगर स्थित उप जिला चिकित्साल्य प्रेमनगर ले जाया गया, परन्तु छात्र शशि शेखर के सिर में गोली लगने के कारण उसे हायर सेंटर दून अस्पताल रेफर किया गया। घायल छात्र का उपचार दून अस्पताल देहरादून में चल रहा है एवं स्थिति अत्यंत गंभीर बनी हुई है।

शशि शेखर के परिजनों द्वारा उक्त घटना को संदिग्ध मानते हुए थाना प्रेमनगर में शशि शेखर के मित्र शशि रंजन के खिलाफ तहरीर दी गयी। जिस पर जांच शुरू हुई। जांच में पता चला कि घटना के समय घायल छात्र के साथ उसके कमरे में उसका एक अन्य मित्र शशि रंजन पुत्र प्रमोद कुमार यादव निवासी बिहार जो कि एल्पाईन इंस्टिट्यूट में ही बी.ए.सी. एग्रीकल्चर द्वितीय वर्ष का छात्र मौजूद था।

पूछताछ पर शशि रंजन द्वारा बताया गया कि घटना के समय शशि शेखर कमरे में अकेला था एवं मैं उस समय सिगरेट पीने कमरे से बाहर प्रभात रेस्टोरेन्ट में गया था। वहां से मैने अपने दोस्त आरिफ को बुलाया। आरिफ और मैं शशि शेखर के कमरे में गये जंहा हमने देखा कि शशि शेखर ने पिस्टल से स्वयं को गोली मारी थी। यह देखकर मैं बहुत डरा और मैने शशि शेखर का पिस्टल एवं खोखा राउण्ड उसके पास से हटाकर कबर्ड में डाल दिया फिर हमने घटना के बारे में अन्य दोस्तों को बताया जिनके आने पर हम शशि शेखर को लेकर प्रेमनगर अस्पताल गये। घायल के दोस्तों द्वारा घायल का प्रेम प्रसंग में असफल होने पर डिप्रेशन में होना आत्म हत्या के प्रयास का कारण बताया गया था।

पुलिस जांच के दौरान पाया गया कि घायल शशि शेखर द्वारा घटना में प्रयुक्त पिस्टल जिसे शशि रंजन द्वारा कबर्ड में रखना बताया था उसकी मैग्जीन बाहर निकली थी एवं शशि रंजन द्वारा दिये गये बयानों, सीसीटीवी फुटेज एवं शशि रंजन के फोन नम्बर की सीडीआर में विरोधाभास था। शशि शेखर का जिस लड़की से प्रेम प्रसंग बताया जा रहा था उससे भी एक वर्ष पूर्व शशि शेखर द्वारा ब्रेकअप करने की बात प्रकाश में आयी, जिस पर पुलिस द्वारा शशि रंजन से लगातार साक्ष्यों के आधार पर पूछताछ की गयी तो शशि रंजन द्वारा उपरोक्त प्रकरण में अपना अपराध स्वीकार किया गया। शशि रंजन द्वारा बताया गया कि घटना के दिन मै और शशि शेखर, शशि शेखर के कमरे में बैड पर बैठे थे। शशि शेखर ने बैड़ के सिरहाने कबर्ड से पिस्तौल निकाला और मुझे दिखाने लगा।

वह पिस्तोल शशी शेखर का था और पिछले काफी समय से उसके पास ही था। फिर शशी पिस्तोल हाथ मे लेकर मेरे से मजाक करने लगा और उसने पिस्तोल मेरी ओर उछाल दी, मैने पिस्तोल लपक ली और मै उसी की तरह पिस्टल हाथ में लेकर मजाक करने लगा। इतने मै शशी शेखर मेरे बगल में बिस्तर पर लेट गया और वह भी मेरे मजाक में मजे लेने लगा। मजाक मजाक मैंने पिस्टल को काक किया और उसके बाद उसका मैगजीन निकाला, मैंने सोचा कि अब पिस्टल खाली हो गया है, क्योंकि मैने कभी भी पिस्टल या अन्य कोई गन नहीं चलाई थी, फिर मैने मजाक मजाक में पिस्तोल शशि शेखर की ओर तान दी और पिस्टल का ट्रीगर दबा दिया। अचानक गोली चली और गोली सीधे शशि शेखर के सर में बाई तरफ लगी।

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