दो माह से वेतन नहीं मिलने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में रोष, मंत्री से की मुलाकात

देहरादून में वेतन संकट: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की समस्याएं चरम पर
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में सैकड़ों आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं पिछले दो महीनों से वेतन से वंचित हैं। इस समस्या ने न केवल उनके आर्थिक जीवन को प्रभावित किया है, बल्कि उनके सम्मान और सेवाभाव को भी आघात पहुँचाया है।
हम इस लेख में विस्तार से समझते हैं कि यह संकट क्यों उत्पन्न हुआ, सरकार की क्या भूमिका रही है, और आंगनबाड़ी सेविकाओं ने मंत्री से क्या मांगें रखी हैं।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की ज़िम्मेदारियां और योगदान
बाल विकास की रीढ़ हैं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
आंगनबाड़ी सेविकाएं गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं, और 0-6 वर्ष तक के बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
उनका दैनिक कार्य अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता है, जिसमें शामिल हैं:
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बच्चों को पूरक पोषण उपलब्ध कराना
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स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण
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शिक्षा की प्रारंभिक नींव
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महिलाओं को स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधी जानकारी देना
फिर भी, उन्हें नाममात्र का मानदेय दिया जाता है जो कई बार समय पर भी नहीं पहुँचता।
दो महीने से वेतन लंबित: परिवार चलाना हुआ मुश्किल
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को हर महीने 7,000 से 10,000 रुपये तक का मानदेय मिलता है, जो पहले से ही न्यूनतम है। अब लगातार दो महीने से वेतन नहीं मिल पाने के कारण उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।
प्रभावित कार्यकर्ताओं की पीड़ा
“बच्चों की फीस, घर का राशन और किराया सब रोक दिया गया है। हमने पूरी निष्ठा से काम किया, लेकिन सरकार ने हमें ही भुला दिया,” – एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, देहरादून।
मंत्री से मिला प्रतिनिधिमंडल: जल्द भुगतान की मांग
बाल विकास एवं पुष्टाहार मंत्री से हुई बैठक
वेतन संकट से जूझ रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल उत्तराखंड सरकार के बाल विकास मंत्री से मिला और अपनी समस्याएं सामने रखीं। उनकी प्रमुख मांगें रहीं:
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लंबित वेतन का तत्काल भुगतान
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मानदेय में न्यूनतम 50% की वृद्धि
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कार्य का समय पर मूल्यांकन और स्थाई नियुक्ति
मंत्री ने सकारात्मक आश्वासन दिया लेकिन कोई स्पष्ट समयसीमा नहीं बताई।
कार्यस्थल की समस्याएं: केवल वेतन नहीं, सुविधाओं की भी कमी
आधारभूत सुविधाओं का अभाव
कई आंगनबाड़ी केंद्रों में:
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बैठने की उचित व्यवस्था नहीं
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शौचालय की सुविधा नहीं
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पोषण सामग्री की समय पर आपूर्ति नहीं होती
इन समस्याओं के बावजूद सेविकाएं अपनी ड्यूटी पूरी निष्ठा से निभाती हैं।