गहड़, श्रीनगर (उत्तराखंड), 21 अगस्त
पाँच दिवसीय पांडव नृत्य कार्यक्रम, जो वरिष्ठ पत्रकार चंद्रवीर गायत्री के गाँव में आयोजित हुआ, पारंपरिक लोक कला और संस्कृति का अद्भुत प्रदर्शन रहा। कार्यक्रम का समापन ग्राम देवता भैरव नाथ की पूजा और विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ हुआ। इस दौरान पारंपरिक नृत्य, पौराणिक कहानियों पर आधारित प्रस्तुतियों और सामाजिक समर्पण का अनूठा मिश्रण देखने को मिला।
मुख्य आकर्षण
- पांडव नृत्य:
- बाण निकला, दूसरी रात का नृत्य, गंगा स्नान यात्रा और कलवा लोहार का नृत्य।
- पांडवों की अग्नि पूजा और द्रोपदी नृत्य ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
- पौराणिक संघर्ष की प्रस्तुति:
अर्जुन और नागा सेनापति के बीच युद्ध और नागमल द्वारा अर्जुन की हत्या की प्रस्तुति बेहद प्रभावशाली रही। - विशेष नृत्य प्रदर्शन:
- मातवर सिंह रावत का हनुमान नृत्य।
- प्रीतम चौहान और युद्धवीर नेगी के नृत्य प्रदर्शन।
सांस्कृतिक योगदान
कार्यक्रम का आयोजन पांडवों के राज सूर्य यज्ञ की पौराणिक कथा पर आधारित था, जिसमें अर्जुन की नॉर्थ-ईस्ट यात्रा और पितृ श्राद्ध का प्रसंग शामिल था।
सम्मान और सहयोग
- ग्राम देवता के प्रति श्रद्धा:
वरिष्ठ पत्रकार चंद्रवीर गायत्री और उनके परिवार ने मंदिर के रख-रखाव और साज-सज्जा के लिए लाखों रुपये दान किए। - विशिष्ट अतिथियों का योगदान:
- ब्लॉक प्रमुख भवानी गायत्री का सहयोग।
- स्वर्गीय शौकार सिंह की धर्मपत्नी सुमित्रा देवी द्वारा भंडारे का आयोजन।
- सम्मानित प्रतिभागी:
देवता के धामी भरोसी लाल, पंडित चमोली, और अन्य स्थानीय नेताओं को सम्मानित किया गया।
पात्र और कलाकारों का प्रदर्शन
पांडवों के पात्रों का किरदार निभाने वाले स्थानीय कलाकारों में सुरेंद्र रावत, नरेंद्र पंवार, प्रदीप रावत, सौरभ, और अन्य कलाकारों के अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा।
प्रशासन और राजनेताओं की भागीदारी
कार्यक्रम में कांग्रेस और भाजपा के कई नेता उपस्थित रहे, जिनमें कांग्रेस के प्रदेश सचिव मोहन चंद्र गायत्री और भाजपा के जिला उपाध्यक्ष लखपत भंडारी शामिल थे।
आयोजन की व्यवस्थाएं
- टेंट और साज-सज्जा:
- अनूप बिष्ट ने टेंट व्यवस्था संभाली।
- मदन लाल और वास्पानंद बहुगुणा ने साज-सज्जा की देखरेख की।
- भोजन व्यवस्था:
- राम सिंह नेगी ने भोजन की शानदार व्यवस्था की।
समापन और भविष्य की उम्मीदें
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। यह आयोजन उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और अगली पीढ़ी तक इसे पहुंचाने का एक उत्कृष्ट उदाहरण बनकर उभरा।