उत्तराखंड

टाइगर ने मादा बाघिन के दो शावकों को मार डाला – वन विभाग ने बरामद किए शव

जंगल में बढ़ती हिंसा: उत्तराखंड के जंगलों में बाघों के बीच संघर्ष

उत्तराखंड के जंगलों में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक वयस्क नर बाघ ने एक मादा बाघिन के दो शावकों की बेरहमी से हत्या कर दी। यह घटना राजाजी टाइगर रिजर्व के पास स्थित जंगल क्षेत्र में हुई, जिसने वन्यजीव प्रेमियों और वन विभाग के अधिकारियों को हैरान कर दिया है।

घटना की जानकारी और स्थान

घटना राजाजी टाइगर रिजर्व के चिल्ला रेंज के अंतर्गत आने वाले घने जंगल क्षेत्र की है। स्थानीय वन अधिकारियों को जब क्षेत्र में गश्त के दौरान शावकों के शव मिले, तो उन्होंने तत्काल उच्च अधिकारियों को सूचित किया। शवों की हालत देखकर यह स्पष्ट हुआ कि दोनों शावकों की मौत हाल ही में हुई थी और उन पर गहरे नाखून व दांतों के निशान मौजूद थे, जो आपसी संघर्ष की ओर संकेत करते हैं।

नर बाघ द्वारा शावकों की हत्या: व्यवहारिक कारण

वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, यह व्यवहार नर बाघों में स्वाभाविक है। जब नर बाघ किसी इलाके पर अधिकार जमाना चाहता है, तो वह मादा बाघिन के शावकों को मार देता है ताकि मादा फिर से गर्भवती हो सके और नर अपने वंश को आगे बढ़ा सके। यह क्रूर लेकिन प्रकृति का हिस्सा माने जाने वाला व्यवहार है।

वन विभाग की त्वरित प्रतिक्रिया

वन विभाग ने घटना के बाद क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी है। कैमरा ट्रैप और ड्रोन की मदद से क्षेत्र में मौजूद अन्य बाघों की गतिविधियों पर भी नजर रखी जा रही है। इसके अतिरिक्त, मृत शावकों का पोस्टमॉर्टम कराकर रिपोर्ट राज्य मुख्यालय भेजी गई है, ताकि मौत के कारणों की पुष्टि वैज्ञानिक तरीके से की जा सके।

वन विभाग द्वारा उठाए गए कदम:

  • क्षेत्र में पेट्रोलिंग बढ़ाई गई

  • कैमरा ट्रैप से निगरानी

  • मादा बाघिन की लोकेशन की पहचान

  • संभावित नर बाघ की पहचान के लिए विश्लेषण

प्रभावित मादा बाघिन की स्थिति

घटना के बाद से मादा बाघिन की स्थिति भी वन विभाग के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। माना जा रहा है कि वह आक्रामक और असहज स्थिति में है। उसके मूवमेंट पर पैनी नजर रखी जा रही है ताकि वह मानव आबादी के करीब न पहुंचे। ऐसे मामलों में मादा बाघिन अक्सर बेहद असहज हो जाती है और अप्रत्याशित व्यवहार कर सकती है।

टाइगर रिजर्व में बढ़ती आंतरिक हिंसा: चिंता का विषय

राजाजी टाइगर रिजर्व और अन्य संरक्षित क्षेत्रों में बाघों की बढ़ती संख्या के कारण इलाकों में दबाव बढ़ा है। इलाका सीमित होने के कारण बाघों के बीच टेरिटोरियल संघर्ष तेज हो रहे हैं। इससे वन्यजीव संरक्षण की दिशा में नई चुनौतियां खड़ी हो रही हैं।

संभावित समाधान:

  • नए टाइगर कॉरिडोर विकसित करना

  • बाघों की आबादी का वैज्ञानिक प्रबंधन

  • मानव-पशु संघर्ष को रोकने के लिए बफर जोन की निगरानी

मादा बाघिन और उसके शावकों का जीवन चक्र

बाघों की मादाएं आमतौर पर 2-4 शावकों को जन्म देती हैं और उन्हें अकेले पालती हैं। शावक 18-24 महीनों तक अपनी मां के साथ रहते हैं और फिर अपने क्षेत्र की तलाश में निकल जाते हैं। लेकिन नर बाघों द्वारा शावकों की हत्या इस जीवन चक्र को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।

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