उत्तराखंड

चार धाम यात्रा 24 घंटे के लिए स्थगितः उत्तराखंड में भारी वर्षा की चेतावनी

प्रस्तावना
हम आपको सूचित करते हैं कि उत्तराखंड सरकार और यातायात प्राधिकरणों ने चार धाम यात्रा को आगामी 24 घंटों के लिए पूरी तरह से स्थगित करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय गढ़वाल व कुमाऊँ क्षेत्र में जारी भारी वर्षा एवं संभावित प्रकृतिक आपदाओं के मद्देनजर लिया गया है।


⛈️ भारी वर्षा की चेतावनी और प्रभावित क्षेत्र

  • बारिश की स्थिति: मौसम विभाग ने अल्मोड़ा, चमोली, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर तथा पौड़ी गढ़वाल में बहुत भारी बारिश (70 से 115 मिमी प्रति 24 घंटे) आने का अनुमान जताया है।

  • जल-भरे रास्ते एवं ग्लेशियरों का क्षरण: उत्तरकाशी, चमोली और रुद्रनगर क्षेत्र के ग्लेशियर और उच्च पर्वतीय भागों में अचानक पिघलाव व नदी-नालों का जलस्तर बढ़ने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

  • फंसे यात्री एवं अधर में रहे वाहन: गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ, केदारनाथ मार्ग पर वाहन व तीर्थयात्री जोखिम से भरे इलाकों में फंस सकते हैं।


योजनाबद्ध रद्दीकरण और सुरक्षा उपाय

  1. यात्रा रद्द और स्थगितियां

    • चारों धाम (गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ) – अगले 24 घंटे के लिए सभी यात्राओं को रोकने का निर्णय।

    • हेली सेवाएँ – आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर यात्राओं को भी फिलहाल निलंबित किया गया।

  2. सेफ्टी टू अवेकेनिंग केंद्र

    • चमोली के गोपेश्वर, उत्तरकाशी के गौरीकुंड, रुद्रप्रयाग के श्रीनगर आदि स्थलों पर अस्थाई राहत शिविर सज्ज।

    • प्राथमिक चिकित्सा, भोजन और आराम सुविधा उपलब्ध।

  3. यातायात नियंत्रित:

    • बारामुला-चमोली एवं रुद्रप्रयाग–गोपेश्वर मार्गों पर यातायात पूर्णतः बंद।

    • डीएम एवं एसपी स्तर पर हर छह घंटे में स्थिति की समीक्षा जारी।


तीर्थयात्रियों के लिए जरूरी निर्देश

  • राहत शिविरों की पहचान:

    • गोपेश्वर (चमोली), श्रीनगर (रुद्रप्रयाग), गौरीकुंड (उत्तरकाशी)

  • आपातकालीन संपर्क:

    • 112 (नेशनल इमरजेंसी नंबर), राज्य आपदा मोचन बल (SDRF)

  • सब्सिडी सुविधाएँ:

    • स्थानीय प्रशासन द्वारा यात्री आवागमन एवं राहत शिविर में भोजन एवं आश्रय की व्यवस्था फ्री दी गई।


मौसम की संदिग्धता और संभावित अस्थिर समय-सारणी

  • अगले 48 घंटे के पूर्वानुमान: बहुत भारी बारिश के साथ-साथ तूफानी हवाएं (60‑80 किमी/घंटा) भी चलने की संभावना।

  • बाढ़ जोखिम: निचले इलाकों में नदी का उफान आ सकता है।

  • स्लाइड संभावनाएँ: पहाड़ी इलाकों में भारी पानी व पहाड़ी भू-धसकने का खतरा बना हुआ है।

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