बांग्लादेश में गारमेंट संकट: तख्तापलट के बाद 140 फैक्टरियां बंद, लाखों मजदूर बेरोजगार

बांग्लादेश का गारमेंट उद्योग गंभीर संकट से गुजर रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट के बाद सात महीनों में 140 से अधिक गारमेंट फैक्टरियां बंद हो चुकी हैं, जिससे एक लाख से ज्यादा मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। अकेले गाजीपुर, सावर, नारायणगंज और नर्सिंदी में 50 से अधिक फैक्टरियां पूरी तरह बंद हो चुकी हैं, जबकि 40 से अधिक अस्थायी रूप से बंद हैं।
वेतन बकाया, सड़कों पर उतरे मजदूर
कई गारमेंट कंपनियों में मजदूरों का दो महीने से लेकर 14 महीने तक का वेतन बकाया है। इससे नाराज मजदूर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। ईद के नजदीक आते ही स्थिति और गंभीर होती जा रही है, और इसके बाद और अधिक फैक्टरियां बंद होने की आशंका है।
आर्थिक मंदी और राजनीतिक अस्थिरता बना बड़ा कारण
गारमेंट फैक्टरियों के बंद होने के पीछे आर्थिक मंदी और राजनीतिक अस्थिरता को मुख्य कारण बताया जा रहा है। खास बात यह है कि बंद हो रही ज्यादातर फैक्टरियां पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग से जुड़े नेताओं की हैं। इनमें हसीना के विदेशी निवेश सलाहकार सलमान एफ. रहमान की बेक्सिमको कंपनी भी शामिल है, जिसकी 15 फैक्टरियां बंद हो चुकी हैं। इसके अलावा, अवामी लीग के मंत्री गाजी दस्तगीर की भी कई फैक्टरियां बंद हो गई हैं।
20 फीसदी ऑर्डर दूसरे देशों को शिफ्ट
बांग्लादेश गारमेंट मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (बीजीएमईए) के अनुसार, 20 फीसदी ऑर्डर भारत, वियतनाम, श्रीलंका, इंडोनेशिया और पाकिस्तान में शिफ्ट हो चुके हैं, जिससे देश के गारमेंट उद्योग पर गहरा असर पड़ा है।