हिमाचल प्रदेश में मानसूनी तबाही: भूस्खलन और बाढ़ से भारी जान-माल का नुकसान

Listen to this article

हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष मानसून ने कहर बरपा दिया है। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश, भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ ने प्रदेश में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। इस आपदा में अब तक 63 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 400 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को नुकसान पहुंचा है। राज्यभर में सड़क, पुल, मकान और कृषि भूमि व्यापक रूप से प्रभावित हुई है।


जानलेवा भूस्खलन: पहाड़ी इलाकों में तबाही का मंजर

भूस्खलन की घटनाओं ने कई गांवों और शहरों को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है। विशेषकर शिमला, कुल्लू, मंडी, और चंबा जिलों में चट्टानें गिरने और मिट्टी खिसकने की घटनाएं सामान्य हो गई हैं।

इन घटनाओं ने आवागमन बाधित कर दिया है, जिससे राहत और बचाव कार्यों में कठिनाइयाँ आ रही हैं।


अचानक आई बाढ़: नदियाँ उफान पर

हिमाचल की प्रमुख नदियाँ जैसे कि ब्यास, सतलुज, और यमुना भारी वर्षा के कारण उफान पर हैं। इससे कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं।

प्रभावित जिलों की स्थिति:

जिला बाढ़ प्रभावित गाँव मृतक संख्या संपत्ति का नुकसान
मंडी 22 9 ₹75 करोड़
कांगड़ा 18 11 ₹60 करोड़
सोलन 15 6 ₹40 करोड़
चंबा 10 4 ₹25 करोड़

बर्बाद होता बुनियादी ढांचा

राज्य सरकार के अनुसार लगभग 800 से अधिक सड़कों को नुकसान पहुंचा है, जिनमें राष्ट्रीय राजमार्ग और संपर्क मार्ग दोनों शामिल हैं। इसके अलावा 150 पुलों को भी आंशिक या पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त घोषित किया गया है।


मानवीय संकट: राहत शिविरों में शरण ले रहे लोग

प्राकृतिक आपदा के कारण हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। राज्य सरकार द्वारा लगाए गए राहत शिविरों में भोजन, चिकित्सा और रहने की अस्थायी व्यवस्था की गई है। अब तक:


राज्य सरकार की कार्रवाई और राहत पैकेज

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने Rs 450 करोड़ के आपातकालीन राहत पैकेज की घोषणा की है। साथ ही केंद्र सरकार से अतिरिक्त सहायता की मांग की गई है। भारतीय सेना, NDRF, ITBP और स्थानीय पुलिस राहत एवं बचाव कार्यों में दिन-रात जुटी हुई हैं।


पर्यावरणीय चेतावनी: विकास बनाम विनाश

विशेषज्ञों का मानना है कि बेतरतीब शहरीकरण, अवैज्ञानिक निर्माण कार्य और जलवायु परिवर्तन इन आपदाओं को और भी गंभीर बना रहे हैं। हिमाचल में हो रहे निर्देशों की अनदेखी कर बनाए गए होटलों, मकानों और सड़कों ने प्राकृतिक आपदा की तीव्रता को बढ़ाया है।

शफाली ज़रीवाला की रहस्यमयी मौत: पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मुंबई पुलिस की जांच

Exit mobile version