घटना का सारांश
पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर जिले के पांशकुरा क्षेत्र में एक 12 वर्षीय छात्र, कृषेंदु दास, ने आत्महत्या कर ली। उस पर एक चिप्स के पैकेट की चोरी का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद उसे सार्वजनिक रूप से दंडित किया गया। इस अपमान के बाद, उसने कीटनाशक का सेवन कर अपनी जान ले ली। उसने एक सुसाइड नोट में लिखा, “माँ, मैंने चिप्स नहीं चुराए।” The Times of India
घटना का विवरण
कृषेंदु दास, जो कक्षा 7 का छात्र था, ने गोसाइबेर बाजार स्थित एक दुकान से चिप्स का पैकेट उठाया, जब दुकानदार उपस्थित नहीं था। उसने कई बार आवाज लगाई, “अंकल, मैं चिप्स खरीदूंगा,” लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। जब वह दुकान से बाहर निकला, तो दुकानदार शुभंकर दीक्षित लौटे और उसे चोरी का आरोप लगाते हुए थप्पड़ मारा और सार्वजनिक रूप से उठक-बैठक करने को मजबूर किया। कृषेंदु की माँ को भी बुलाया गया, जिन्होंने उसे डांटा और थप्पड़ मारा। कृषेंदु ने दावा किया कि उसने चिप्स का पैकेट उठाया था और बाद में भुगतान करने का इरादा था।
सामाजिक और मानसिक प्रभाव
इस घटना ने समाज में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और सार्वजनिक अपमान के प्रभाव पर गंभीर चिंतन को जन्म दिया है। एक किशोर के लिए सार्वजनिक रूप से अपमानित होना अत्यंत पीड़ादायक हो सकता है, जिससे वह आत्महत्या जैसे कदम उठाने को मजबूर हो सकता है।The Times of India
कानूनी कार्रवाई और जांच
पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है। दुकानदार और अन्य संबंधित व्यक्तियों से पूछताछ की जा रही है। कृषेंदु के परिवार ने न्याय की मांग की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपेक्षा की है।
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता
यह घटना बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज की उदासीनता को उजागर करती है। बच्चों को समझने, उनका समर्थन करने और उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान करने की आवश्यकता है, जहाँ वे अपने भावनाओं को व्यक्त कर सकें और सहायता प्राप्त कर सकें।
निष्कर्ष
कृषेंदु दास की दुखद मृत्यु ने समाज को यह सोचने पर मजबूर किया है कि हम बच्चों के साथ कैसे व्यवहार करते हैं और उनके मानसिक स्वास्थ्य के प्रति कितने संवेदनशील हैं। यह समय है कि हम बच्चों को समझें, उनका समर्थन करें और उन्हें ऐसा वातावरण प्रदान करें जहाँ वे सुरक्षित और सम्मानित महसूस करें।
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